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महर्षि पतंजलि का दिव्य मंदिर - भारत को फिर से विश्व गुरु बनाने की पावन आधारशिला

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"जिस भूमि ने योग का जन्म दिया, अब उस भूमि को पहचान दिलाने का समय आ गया है..."
➺ मंगल संदेश:

भारत की संत परंपरा में महर्षि पतंजलि का स्थान अनन्य और अद्वितीय है। उन्होंने योग-दर्शन, महाभाष्य और आयुर्वेद – इन तीन दिव्य स्तंभों के माध्यम से न केवल भारतीय ज्ञान को आकार दिया, बल्कि सम्पूर्ण मानवता को चिरस्थायी स्वास्थ्य, शांति और आत्मबोध की राह दिखाई।

आज विश्व योग दिवस मनाने वाला संसार शायद यह नहीं जानता कि योगसूत्रों के प्रणेता, तप और तत्त्वज्ञान के अद्वितीय मनीषी महर्षि पतंजलि, भारत की हृदयस्थली भोपाल के समीप गोनर्द (वर्तमान गोंदरमऊ) में अवतरित हुए थे।

किन्तु दुर्भाग्यवश, जिस भूमि ने संसार को योग दिया - वह आज भी उपेक्षा की छाया में है।

➺ हम क्या कर रहे हैं?

अब समय आ गया है कि हम इस संतभूमि को उसका विश्व पटल पर यथोचित स्थान दिलाएँ। इसी उद्देश्य से, हम महर्षि पतंजलि जन्मभूमि गोनर्द, भोपाल में एक “दिव्य, भव्य और वैदिक परंपरा आधारित मंदिर” का निर्माण कर रहे हैं।

यह मंदिर केवल एक भवन नहीं होगा, यह होगा:

  • भारत की आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक
  • योग और तपस्या की आदिशक्ति का केंद्र
  • हर भारतीय के लिए आत्मगौरव का स्थल
  • विश्व को पुनः योगमूलक दिशा देने वाला तीर्थ
➺ हमारा संकल्प
  • हम केवल मंदिर ही नहीं बना रहे - हम एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण
  • एक आध्यात्मिक क्रांति, और योग के उद्गम स्थल का वैश्विक प्रकाशन कर रहे हैं।
  • यह प्रयास है, भारत को उसकी 'विश्वगुरु' की संज्ञा दोबारा दिलाने का।
➺ आपका सहयोग क्यों आवश्यक है?
  • "मंदिर की हर ईंट में यदि एक साधक की आस्था जुड़ी हो, तभी वह दिव्यता से पूरित होता है।"
  • आपका दान, सहयोग और समर्थन इस मंदिर के हर पत्थर में आपकी आस्था की ऊर्जा बनकर समाहित होगा।
  • यह मंदिर आपके योगदान का जीवंत प्रतीक बनेगा - जिससे आने वाली पीढ़ियाँ प्रेरणा प्राप्त करेंगी।

आप कह सकेंगे - "इस योग मंदिर की एक ईंट मेरी भी है!"

➺ मंदिर के प्रमुख आयाम:
  • ध्यान एवं साधना कक्ष – जहाँ विश्वभर से साधक ध्यान हेतु आएंगे
  • पतंजलि शोध केंद्र – जहाँ योग, आयुर्वेद, भाषा और ध्यान पर शोध होगा
  • अंतर्राष्ट्रीय योग विश्वविद्यालय – वैश्विक छात्रों के लिए योग, तत्त्वज्ञान और आयुर्वेद का अध्ययन
  • वेदमंत्रों की गूंज से पवित्र परिसर – नित्य संध्या वंदन, यज्ञ और साधनाएं
  • प्राकृतिक और शांतिपूर्ण वातावरण – ध्यान-साधना के लिए आदर्श

आपका बुलावा है...

यह अवसर केवल दान देने का नहीं, बल्कि इतिहास गढ़ने का है।

यह एक आह्वान है - भारत की आत्मा से जुड़ने का।

"आइए, इस यज्ञ में अपनी आहुति दीजिए।"

महर्षि पतंजलि शोध संस्थान एक युग की पुनर्खाज, एक ज्ञान-विज्ञान की वैश्विक यात्रा

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"जो विश्व को योग दे सकता है, वह विश्व को संपूर्ण विज्ञान दे सकता है – यही है पतंजलि!"
➺ परिचयः

भारतवर्ष की ज्ञान परंपरा में महर्षि पतंजलि केवल एक योगाचार्य नहीं, बल्कि ज्ञान, भाषा, चिकित्सा, रसायन, धातु विज्ञान, दर्शन और आत्मविद्या के महामनीषी थे। परन्तु विडंबना यह है कि आज संसार पतंजलि को केवल योगसूत्र, या अधिकतम महाभाष्य और आयुर्वेद तक ही सीमित जानता है। किन्तु सत्य इससे कहीं विशाल है।

➺ महर्षि पतंजलि द्वारा रचित निम्नलिखित ग्रंथ आज भी शोध की प्रतीक्षा में हैं:
  • योगसूत्र
  • महाभाष्य
  • चरक संहिता में योगदान (निदानसूत्र)
  • परमार्थसार
  • महानंदकाव्य
  • शब्दकोष (पतंजलि शब्द विज्ञान)
  • सांख्य शास्त्र की टीकाएँ
➺ रसशास्त्र और लोहशास्त्र में सूत्र रूप में रचनाएँ
  • गोणीय का भार्याधिकारिक ग्रंथ
  • गोणिका पुत्र का पारदारिक शास्त्र (रसायन / पारद विज्ञान)

इन ग्रंथों में मानव कल्याण, जीवन-दर्शन, दवा विज्ञान, अंतरिक्षीय ज्ञान और मन व चेतना के रहस्य छिपे हैं, जो यदि उजागर किए जाएँ तो भारत एक बार पुनः विश्वगुरु के पद पर प्रतिष्ठित हो सकता है।

➺ हमारा संकल्पः

इसी दिशा में हम महर्षि पतंजलि शोध संस्थान की स्थापना कर रहे हैं – एक ऐसा शोध पीठ जहाँ:

  • महर्षि पतंजलि के ज्ञात और अज्ञात ग्रंथों पर गहन अनुसंधान होगा
  • उनकी रचनाओं का वैज्ञानिक विश्लेषण, वैश्विक भाषाओं में अनुवाद और प्रयोग आधारित अध्ययन किया जाएगा
  • योग, आयुर्वेद, भाषा, ध्वनि विज्ञान और चेतना विज्ञान को आधुनिक विज्ञान से जोड़ा जाएगा
  • युवा शोधार्थियों को फेलोशिप, प्रशिक्षण और प्रकाशन अवसर प्रदान किए जाएँगे
  • प्राचीन भारत के लुप्त ज्ञान को डिजिटली संरक्षित और प्रकाशित किया जाएगा
➺ आपका योगदान क्यों आवश्यक है?
  • भारत के पास धन तो है, किन्तु दुर्भाग्य से अपनी धरोहर को पहचानने और संरक्षित करने की दृष्टि नहीं।
  • यह दृष्टि आपके सहयोग, आपकी श्रद्धा और आपके संकल्प से ही पूर्ण होगी।
➺ इस शोध संस्थान में आपकी सहभागिता का अर्थ है:
  • आप भारत के गौरवशाली अतीत को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठित करने में सहभागी हैं
  • आप एक वेद-आधारित ज्ञानक्रांति के निर्माता हैं
  • आप मौन रहकर भी भारत की आवाज़ बन रहे हैं
  • "हर विद्वान पतंजलि को जान सके, हर विद्यार्थी पतंजलि को पढ़ सके, हर वैज्ञानिक पतंजलि से प्रेरणा ले सके – यही इस शोध संस्थान का लक्ष्य है।"
➺ भविष्य की योजनाएँ:
  • पतंजलि ग्रंथ संग्रहालय और डिजिटल लाइब्रेरी
  • योग-आयुर्वेद-दर्शन विषयक इंटरनेशनल रिसर्च जर्नल्स
  • प्राचीन ग्रंथों पर शोध आधारित डॉक्युमेंट्रीज़ और कोर्सेस
  • विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ संयुक्त शोध परियोजनाएँ
  • भारत की 18 भाषाओं और 10 अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं में ग्रंथों का अनुवाद

महर्षि पतंजलि अंतर्राष्ट्रीय योग विश्वविद्यालय

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योग का नवोदय, भारत का विश्वगुरु बनने की दिशा में ऐतिहासिक प्रयास

"जिसने योगसूत्रों से मानव चेतना को जाग्रत किया, अब उसी योगी की जन्मभूमि से हम एक वैश्विक विश्वविद्यालय का दीप जला रहे हैं।"

➺ दृष्टिकोणः

आज जब विश्वभर के विश्वविद्यालयों में भारतीय योग, आयुर्वेद, प्राणायाम और ध्यान के पाठ्यक्रम पढ़ाए जा रहे हैं; जब योग एक $80 बिलियन डॉलर का वैश्विक उद्योग बन चुका है – तब यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि योग के जन्मदाता महर्षि पतंजलि के नाम पर कोई अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय भारत में नहीं है।
हम इस ऐतिहासिक विस्मृति को समाप्त करने के लिए संकल्पबद्ध हैं।

➺ हम क्या बना रहे हैं?

“महर्षि पतंजलि अंतर्राष्ट्रीय योग विश्वविद्यालय” – एक ऐसा जीवंत तीर्थ, जहाँ शिक्षा, साधना और विज्ञान का समन्वय होगा। यह विश्वविद्यालय केवल डिग्रियाँ नहीं, बल्कि चरित्र, चेतना और संस्कृति का निर्माण करेगा।

➺ विश्वविद्यालय की प्रमुख विशेषताएँ:
  • योग सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, UG से PhD तक के पाठ्यक्रम – योग, आयुर्वेद, ध्यान, दर्शन, संस्कृत, मानसिक स्वास्थ्य
  • विश्वस्तरीय संकाय – भारत, अमेरिका, यूरोप, जापान जैसे देशों से आमंत्रित विद्वान
  • ‘गुरुकुल ग्लोबल’ मॉडल – वेद, ध्यान और आधुनिक तकनीक का संगम
  • अनुसंधान केंद्र – योग का न्यूरो-साइंटिफिक, मेडिकल और क्वांटम रिसर्च
  • ऑनलाइन ग्लोबल कोर्सेस – विश्व के किसी भी कोने से जुड़े हर विद्यार्थी
  • योग स्पर्धाएँ, उत्सव और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग – अनुभव आधारित शिक्षा
  • प्राकृतिक वातावरण में रेजिडेंशियल साधना केंद्र – ध्यान, तप, ब्रह्मचर्य, स्व-अनुशासन
  • संस्कृत और भारतीय शास्त्रों की अनिवार्य शिक्षा – भारत की जड़ें सशक्त बनाते हुए
➺ हमारा लक्ष्यः
  • भारत में योग शिक्षा का ऑक्सफोर्ड खड़ा करना
  • महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि को वैश्विक योग राजधानी बनाना
  • योग को केवल स्वास्थ्य नहीं, बल्कि संस्कृति, चेतना और विश्वशांति का माध्यम बनाना
➺ आपका सहयोग क्यों आवश्यक है?
  • कोई भी विश्वविद्यालय केवल भवनों से नहीं बनता –
  • वह बनता है स्वप्न देखने वालों की दृष्टि,
  • सहयोग देने वालों की श्रद्धा
  • और कर्तव्य निभाने वालों की ऊर्जा से।

➺ आज हम आह्वान कर रहे हैं:

  • उन शिक्षकों का – जो पतंजलि के स्वप्न को कक्षा में जीवंत करें
  • उन दानदाताओं का – जो इस ईश्वरीय यज्ञ में आहुति दें
  • उन विद्यार्थियों का – जो भारत से सीखकर विश्व में प्रकाश फैलाएँ
➺ विश्वविद्यालय की प्रमुख योजनाएँ:
  • AI आधारित योग-एजुकेशन प्लेटफ़ॉर्म
  • पतंजलि स्मृति अंतर्राष्ट्रीय योग पुरस्कार
  • योग और मनोविज्ञान पर लैब आधारित रिसर्च
  • शैक्षिक डॉक्यूमेंट्री, पॉडकास्ट और ग्लोबल वेबिनार सीरीज़
  • विश्वविद्यालयों से साझेदारी (Harvard, Oxford, Kyoto आदि)

प्राण योग चिकित्सा शिविर

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बिना इंजेक्शन, बिना फीस, बिना दुष्प्रभाव – अब रोग मुक्ति संभव है सेवा के माध्यम से

जहां रोग का उपचार केवल शरीर तक सीमित न होकर मन, प्राण और आत्मा तक पहुंचे – वही सच्ची चिकित्सा का जन्म होता है।

➺ परिचय

महर्षि पतंजलि केवल योग के प्रवक्ता नहीं थे, वे एक दिव्य चिकित्सक भी थे। उन्होंने शरीर, मन और चित्त के समन्वय से रोगों को दूर करने की ऐसी विधियाँ दीं, जो आज भी अद्भुत और अद्वितीय हैं।
इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, हम महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि गोनर्द (भोपाल) से प्रारंभ कर रहे हैं –

➺ “प्राण योग चिकित्सा शिविर”

एक ऐसा स्थान, जहाँ लाखों रोगियों को 24 घंटे बिना इंजेक्शन, बिना जांच, बिना दुष्प्रभाव के, सिर्फ प्राण शक्ति और योग ऊर्जा के माध्यम से रोगमुक्त किया जाएगा।

➺ यह कोई सामान्य शिविर नहीं – यह एक अनवरत सेवा यज्ञ है
  • 24 घंटे सतत सेवा – कोई समय सीमा नहीं, कोई भी आ सकता है
  • बिना दवा, बिना साइड इफेक्ट – केवल प्राचीन प्राण योग विधियों द्वारा उपचार
  • ऊर्जा उपचार, ध्यान चिकित्सा, स्पर्शहीन हीलिंग – वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सिद्ध प्रक्रियाएँ
  • प्रशिक्षित प्राण योग चिकित्सकों की टीम – अनुभवी साधकों द्वारा सेवा
  • शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रोगों का उपचार – जैसे सिर दर्द, गठिया, थायराइड, मधुमेह, अस्थमा, तनाव, अवसाद, अनिद्रा, घुटनों का दर्द, रीढ़ की समस्याएँ आदि
➺ यह शिविर क्यों विशेष है?
  • यह केवल शरीर का उपचार नहीं करता – यह प्राण शक्ति को संतुलित कर शरीर को स्वयं उपचार की शक्ति देता है
  • गरीब, पीड़ित, वृद्ध, असहाय लोगों के लिए आशा का केंद्र बनेगा
  • भारत की आध्यात्मिक चिकित्सा परंपरा को आधुनिक विश्व के सामने प्रत्यक्ष प्रमाण सहित प्रस्तुत करेगा
➺ आपका सहयोग क्यों आवश्यक है?
  • यह कोई व्यापार नहीं – यह सेवा है।
  • यह मंदिर की आरती जितना ही पवित्र है।
  • यह कर्म योग की चरम अभिव्यक्ति है।
➺ हम आपसे सहयोग चाहते हैं:
  • स्वयंसेवक बनकर सेवा दें – योग प्रशिक्षक या हीलर के रूप में जुड़ें
  • इंफ्रास्ट्रक्चर, उपकरण या भोजन की सेवा दें
  • दान देकर रोगियों की सेवा में सहभागी बनें

"आपका सहयोग किसी की पीड़ा को मिटा सकता है, किसी का जीवन बदल सकता है।"

➺ भविष्य की योजनाएँ:
  • स्थायी प्राण योग आरोग्य ग्राम की स्थापना
  • प्राण चिकित्सा में प्रशिक्षण और सर्टिफिकेशन कोर्स
  • रोग मुक्ति के वैज्ञानिक आंकड़ों का प्रकाशन
  • देश-विदेश में मोबाइल प्राण चिकित्सा शिविरों का संचालन
  • एम्स और आयुष जैसे संस्थानों के साथ साझेदारी का लक्ष्य

प्राकृतिक चिकित्सा एवं पंचतत्व चिकित्सा केंद्र जहां प्रकृति स्वयं विद्या है और पंचतत्व स्वयं उपचार

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जिन पाँच तत्वों से शरीर बना है – उन्हीं पाँच तत्वों से रोगों का अंत भी संभव है
➺ परिचय

शरीर स्वयं रोगी नहीं होता – उसकी प्रकृति विकृत होती है। और जब हम शरीर को प्रकृति के मूल पाँच तत्वों – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश – के साथ जोड़ देते हैं, तब शरीर स्वयं अपने रोगों को मिटाने लगता है।

➺ महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि पर अब हम प्रारंभ कर रहे हैं –

“प्रकृति चिकित्सा एवं पंचतत्व चिकित्सा केंद्र” - एक ऐसा स्थान, जहाँ दवा नहीं – धरती स्वयं औषधि है

जहाँ मशीन नहीं – मौन ही ऊर्जा है;
जहाँ सीरिंज नहीं – सूर्य की किरणें ही उपचार हैं।

➺ यह चिकित्सा केंद्र क्या देगा?
  • पंचतत्व संतुलन आधारित चिकित्सा: शरीर में पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश के संतुलन द्वारा रोग मुक्ति
  • जल चिकित्सा: हाइड्रोथेरेपी, स्नान, उपवास, तांबे के जल, सूर्य संक्रांति जल से उपचार
  • अग्नि चिकित्सा: सूर्य स्नान, मिट्टी में तप, अग्नि मुद्रा, हीट थेरेपी
  • पृथ्वी चिकित्सा: मिट्टी पट्टी, गीली मिट्टी का लेप, पैरों का भू-स्पर्श उपचार
  • वायु चिकित्सा: प्राणायाम, वायु स्नान, वायु संपर्क से जीवन शक्ति वृद्धि
  • आकाश चिकित्सा: उपवास, मौन, ध्यान, अंतरिक्ष चेतना से रोग निवारण
  • आहार चिकित्सा: सात्विक, ऋतु आधारित देसी अनाज व फलहार से रोग मुक्ति
  • ज्ञान व ऊर्जा चिकित्सा: ध्यान, मौन साधना, चक्र हीलिंग, प्राण ऊर्जा उपचार
  • हर्बल व लोक चिकित्सा: देसी नुस्ख़े, वैदिक तेल, घृत, वन औषधियाँ
➺ विशेषताएँ:
  • 100% प्राकृतिक – बिना दवा, बिना साइड इफेक्ट
  • हर आयु वर्ग के लिए – शिशु से वृद्ध तक
  • जीवन शैली रोगों के लिए सर्वोत्तम उपाय
  • हर रोगी की प्रकृति के अनुसार विशेष उपचार योजना
  • प्राकृतिक चिकित्सा, पंचतत्व, योग और ज्ञान का समन्वय
➺ वैज्ञानिक पुष्टि:
  • योग और प्राकृतिक चिकित्सा WHO व ICMR द्वारा प्रमाणित
  • पंचतत्व चिकित्सा से Mind-Body Integration
  • आहार, ध्यान व प्रकृति के संयोजन से Self-Healing सक्रिय
  • यह उपचार व्यक्ति को रोगमुक्त, शांत व ऊर्जावान बनाता है
➺ केंद्र की प्रस्तावित सुविधाएँ:
  • प्राकृतिक चिकित्सा कुटी (Naturopathy Huts)
  • पंचतत्व स्नान गृह (Mud, Steam, Sun, Water Therapy Units)
  • जैविक आहार केंद्र
  • ध्यान-मौन-प्राण ध्यान स्थल
  • आयुर्वेद, योग व पंचतत्व पाठशाला
  • वनौषधि वाटिका एवं पंचकर्म केंद्र
➺ आपका सहयोग क्यों आवश्यक है?
  • यह केंद्र केवल इलाज का स्थल नहीं –
  • यह भारत की सनातन चिकित्सा परंपरा का पुनर्जन्म है।

➺ आपका योगदान:

  • एक रोगी को स्वस्थ जीवन दे सकता है
  • एक परिवार को आशा दे सकता है
  • एक राष्ट्र को चिकित्सा आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर कर सकता है

“जब आप दान देंगे तो किसी को जीवन मिलेगा। जब आप सेवा करेंगे तो किसी की साँसें स्थिर होंगी।”

गोनर्द में साधना कुटी निर्माण अभियान -
एकांत साधना की भूमि पर ब्रह्मविद्या के केंद्रों की पुनर्स्थापना

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"जहाँ चित्त स्थिर हो, वाणी मौन हो, और प्राण प्रकृति से एक हो जाए वहीं जन्म लेती है साधना की कुटी।"
➺ परिचयः

भारतवर्ष की सनातन परंपरा में कुटी केवल एक आवास नहीं होता - यह एक साधना पीठ, आत्मचिंतन का आश्रय, और ईश्वर से संवाद का केंद्र होता है। ऋषि-मुनियों, तपस्वियों और योगियों ने अपनी साधना के लिए सदैव एकांत, प्राकृतिक और पवित्र स्थलों को चुना, जहाँ वे वैराग्य, ध्यान, ब्रहाचर्य और मौन साधना द्वारा आत्मबोध को प्राप्त करते थे। गोनई (गोंदरमऊ, भोपाल) जो स्वयं महर्षि पतंजलि जैसे योगावतार की जन्मभूमि है वहाँ अब पुना वै ही साधना कुटियों का निर्माण किया जा रहा है, ताकिः

  • योगी, संन्यासी और ध्यान-साधक वहां तप कर सकें
  • ब्रह्मचारी पुया वहीं अध्ययन और चरित्र निर्माण कर सकें
  • रोगी और दुखी वहाँ एकांत, मौन और प्रकृति से स्वास्थ्य पुनः प्राप्त कर सकें
➺ प्रस्तावित "साधना कुटी ग्राम" की विशेषताएँः
  • प्राकृतिक वातावरण हर कुटी के चारों ओर वृक्ष, औषधीय वनस्पतियाँ और पंचतत्व संतुलन
  • एकल कुटी प्रत्येक साधक के लिए अलग मौन वास स्थाल
  • मीन एवं ध्यान अनिवार्य क्षेत्र जहाँ कोई शोर, मोबाइल या भीड़ नहीं
  • प्राण योग ध्यान केंद्र से निकटता ताकि साधना और चिकित्सा दोनों एक साथ हों
  • प्राकृतिक प्रकाश, वायु और मिट्टी आधारित निर्माण वास वास्तु और आयुर्वेद सम्मत डिज़ाइन
  • साधना काल हेतु भोजन एवं सेवा सुविधा बिना किसी आर्थिक शुल्क के
  • 3 दिन से 90 दिन तक की ब्रह्मचर्य साधना / स्वास्थ्य साधना हेतु कुटियाँ
➺ कुटी किसके लिए?
  • जो मौन साधना, जप, प्राणायाम, त्राटक, या एकांत योग करना चाहते हैं
  • जो मानसिक, भावनात्मक या आत्मिक क्लेश से मुक्ति पाना चाहते हैं
  • जो संसार से कुछ समय के लिए विरक्त होकर स्वयं को जानना चाहते हैं
  • जो शरीर की गहराई से चिकित्सा हेतु पंचतत्त्व और मौन का सहारा लेना चाहते हैं
  • जो युवा संन्यास और ब्रह्मचर्य के जीवन का अनुभव करना चाहते हैं
➺ आपका सहयोग क्यों आवश्यक है?

"एक कुटी - एक आत्मा का पुनर्जन्स"

  • एक कुटी का निर्माण किसी एक साधक के तप का स्थान बन सकता है
  • वही कुटी किसी पीड़ित की चुपचाप चिकित्सा का केंद्र बन सकती है
  • वही कुटी किसी युवा के चरित्र निर्माण की पाठशाला बन सकती है
➺ आप कुटी निर्माण में सहयोग देकर...
  • एक ऋषिकल्प आश्रम की स्थापना में सहभागी बनते हैं
  • भारत की सनातन साधना परंपरा को पुनर्जीवित करते हैं
  • अपने पितरों व कुल के लिए पुण्य और आध्यात्मिक आशीर्वाद अर्जित करते हैं
➺ आप किस प्रकार सहयोग कर सकते हैं?
  • पूर्ण एक कुटी निर्माण का दान (नाम समर्पण सहित जैसे "श्रीमती सुशीला कुटी")
  • ईट, काष्ठ, छत, शौचालय या सौर ऊर्जा उपकरणों का प्रायोजन
  • कुटी के भीतर ध्यान-आसन, शैय्या, मंत्र लेखन, पुस्तकें आदि की व्यवस्था
  • एक समय भोजन सेवा या सप्ताहिक मौन साधना शिविर प्रायोजित करें

भारत विश्व गुरु संकल्पना "गोनर्द से गूंजेगी विश्वगुरु भारत की महाघोषणा "


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From Gonard to be Global Yoga ("गोनर्द से उठेगी वैश्विक योग चेतना की अनुगूंज")
➺ भूमिकाः

भारत कोई भूखंड मात्र नहीं यह चेतना की जन्मभूमि, धर्म, विज्ञान और योग की प्रेरणा भूमि, और संपूर्ण मानवता के कल्याण की प्रयोगशाला है।

➺ हमारा यह विश्वास संकल्प बन गया है कि-
  • भारत पुनः विश्वगुरु बनेगा, और
  • यह घोषणा गोनर्द की भूमि से होगी उसी पवित्र भूमि से, जहाँ महर्षि पतंजलि ने जन्म लिया।
➺ हम क्या कर रहे हैं?
  • हम महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि गोनर्द (भोपाल) को बना रहे हैं
  • "भारत विश्वगुरु संकल्पना" का जीवंत केंद्र"
  • जहाँ से भारत का आध्यात्मिक, वैज्ञानिक, और योगिक संदेश पुनः विश्वभर में प्रवाहित होगा।
"भारत विश्वगुरु" के पाँच स्तंभ (पंच स्तंभीय दृष्टिकोण):
स्तंभ
कार्य
1. पतंजलि का दिव्य मंदिर
भारत के आत्मगौरव का प्रतीक स्थल
2. पतंजलि शोध संस्थान
गूढ़ ज्ञान, ग्रंथ और वैज्ञानिक शोध का केंद्र
3. अंतर्राष्ट्रीय योग विश्वविद्यालय
योग शिक्षा और शोध की वैश्विक राजधानी
4. प्राणयोग और पंचतत्त्व चिकित्सा केंद्र
विश्व को बिना दवा, वैदिक चिकित्सा का तोहफा
5. साधना कुटी ग्राम
ध्यान, तप और मौन साधना के लिए वैदिक आश्रय
➺ From Gonard to be Global Yoga:
  • गोनर्द से उठेगी एक ऐसी वैश्विक ध्वनि,
  • जो यूरोप के शिक्षालयों तक पहुँचेगी,
  • जो अमेरिका की प्रयोगशालाओं में गूंजेगी,
  • जो एशिया के हर गाँव-शहर में भारतीय चेतना का पुनर्जागरण करेगी।
➺ गोनर्द बनेगाः
  • Global Spiritual Leadership का केंद्र
  • Vedic Knowledge Export का मुख्य द्वार
  • International Yoga Tourism Hub
  • योग-आयुर्वेद-चेतना विज्ञान पर विश्व अनुसंधान का तीर्थ
➺ आपका सहयोग क्यों आवश्यक है?
  • "विश्वगुरु भारत" एक नारा नहीं, एक साधना है।"
  • और हर साधना में श्रद्धा, सेवा और सहयोग की आवश्यकता होती है।
➺ आपके सहयोग सेः
  • एक दिव्य मंदिर साकार होगा
  • शोध केंद्रों में भारत का गुप्त ज्ञान उजागर होगा
  • विदेशों से विद्यार्थी यहाँ योग सीखने आएंगे
  • लाखों रोगियों को दवा रहित उपचार मिलेगा
  • और भारत पुनः अपने सांस्कृतिक नेतृत्व में प्रतिष्ठित होगा
➺ सहयोग कैसे करें?
  • "भारत विश्वगुरु संकल्प" हेतु आर्थिक दान
  • भूमि, निर्माण, उपकरण, छात्रवृत्ति आदि का प्रायोजन
  • देश-विदेश में प्रचार प्रसार में सहकार्य
  • स्वयंसेवक, प्रशिक्षक, विशेषज्ञ के रूप में योगदान
  • हर माह न्यूनतम अंशदान से इस राष्ट्र-व्रत से जुड़ना

जैविक खेती प्रशिक्षण केंद्र गोनर्द से उगेंगे स्वास्थ्य, संस्कृति और आत्मनिर्भर भारत के बीज

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"जहाँ चरती ही बैग बने, और अन बने अमृत"
➺ परिचयः
  • आज का भारत, जो योग, आयुर्वेद और सनातन परंपरा का संवाहक है,
  • बह यदि रासायनिक खाद और ज़हरीले कीटनाशकों पर निर्भर हो जाए -
  • तो न केवल हमारा शरीर, बल्कि हमारी भूमि, संस्कृति और अगली पीढ़ियाँ भी रोगी हो जाती हैं। इसी संकट के समाधान हेतु, हम गोनर्द (महर्षि पतंजलि की पावन जन्मभूमि) पर स्थापित कर रहे हैं:
➺ "जैविक खेती प्रशिक्षण केंद्र"
  • एक ऐसा केंद्र - जहाँ धरती की रक्षा, किसान की शक्ति, और भोजन की शुद्धि को एक सूत्र में बाँधा जाएगा।
➺ प्रशिक्षण केंद्र की प्रमुख विशेषताएँः
  • जैविक खेती के सिद्धांतों पर आधारित प्रशिक्षण – बिना रसायन, केवल पंचतत्त्व आधारित पद्धति
  • देशी गाय आधारित कृषि मॉडल – गोबर, गौमूत्र, जीवामृत, बीजामृत, पंचगव्य का प्रयोग
  • मृदा संरक्षण और उर्वरता सुधार – प्राकृतिक ढंग से भूमि को पुनः पोषण देना
  • ऋतु आधारित फसल चक्र और मिलेट्स उत्पादन – बाजरा, कोदो, कुटकी, रागी, समा आदि
  • कृषि आयुर्वेद – पर्यावरण का सम्बन्धित पाठ्यक्रम, अध्ययन, प्रयोग, शोध
  • किसानों, छात्रों और स्वयंसेवकों के लिए विशेष कोर्सेस – सर्टिफिकेट और फेलोशिप
  • प्रायोगिक खेतों और मॉडल प्लॉट की व्यवस्था – सीखने के साथ करने का अवसर
  • वन औषधियों, फलोद्यान और कृषि-वाटिका का विकास – विविधता में समृद्धि
➺ वैज्ञानिक और आध्यात्मिक आधारः
  • जैविक खेती मिट्टी में रहने वाले सूक्ष्मजीवों की पुनर्स्थापना करती है
  • पंचतत्त्व आधारित खेती वातावरण को शुद्ध और मानसिक संतुलन युक्त बनाती है
  • प्राकृतिक अन्न से शरीर रोगमुक्त और ऊर्जावान होता है – यह योग और प्राणायाम का मूल आधार है
  • भारतीय कृषि परंपरा और वेदों में वर्णित कृषि विधियों का पुनरुत्थान इसमें सम्मिलित होगा
➺ हमारा लक्ष्यः
  • भारत के हर गाँव तक जैविक ज्ञान और बीज पहुँचाना
  • किसानों को आत्मनिर्भर और सम्मानित बनाना
  • बच्चों को शुद्ध भोजन और सुरक्षित भविष्य देना
  • योग-ध्यान-चिकित्सा-आहार को एकीकृत जीवनपद्धति में बदलना
➺ आपका सहयोग क्यों आवश्यक है?
  • आज खेती केवल उत्पादन नहीं, संस्कारों की खेती भी है
  • जब आप जैविक केंद्र निर्माण में सहयोग करते हैं, तो आप एक किसान नहीं, एक संस्कृति को संजीवनी देते हैं
  • यह केंद्र हजारों किसानों, छात्रों और परिवारों के जीवन को विषमुक्त, स्वाभिमानी और समृद्ध बनाएगा
➺ आप सहयोग कैसे कर सकते हैं?
  • प्रशिक्षण भवन निर्माण में सहयोग
  • एक किसान को प्रशिक्षण हेतु प्रायोजित करें
  • देशी गाय, वर्मीकम्पोस्ट, बीज भंडार, जल प्रबंधन हेतु योगदान
  • जैविक खेती पर पुस्तकों, वीडियो, डिजिटल पाठ्यक्रम का विकास
  • एक प्रयोगात्मक खेत (model organic plot) दानदाताओं के नाम से

"एक वृक्ष - माता-पिता के नाम" श्रद्धा का वृक्ष, स्मृति का संस्कार, पर्यावरण का पुनर्जागरण"

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"जहाँ एक वृक्ष लगे, वहाँ माँ-पिता का आशीर्वाद फले।"
➺ परिचयः

माता-पिता हमें जीवन देते हैं, हमारे लिए अपना सब कुछ समर्पित करते हैं -

  • वे छाया बनकर हर दुख को रोकते हैं
  • वे जड़ बनकर हमें स्थिरता देते हैं
  • और फल बनकर जीवन भर हमें पोषण देते हैं

अब समय है कि हम उनकी स्मृति और सेवा को धरती पर जीवित करें एक वृक्ष के रूप में, जो सदा हरियाली दे, छाया दे, और जीवन दे।

"एक वृक्ष - माता-पिता के नाम" अभियान क्या है? यह एक सांस्कृतिक और पर्यावरणीय अभियान है,

जिसके अंतर्गत प्रत्येक व्यक्ति एक वृक्ष अपने माता-पिता या पूर्वजों के नाम पर लगाएगा।

यह केवल एक पौधा नहीं होगा – यह होगा श्रद्धा का प्रतीक,
संस्कारों का वंशवृक्ष, और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का संकल्प।

➺ आप एक वृक्ष क्यों लगाएँ?
  • माता-पिता के जन्मदिन, पुण्यतिथि, विवाह वर्षगांठ पर
  • परिवार के हर सदस्य के लिए एक-एक पौधा
  • बच्चों को संस्कार देने के लिए "संस्कार पेड़ के रूप में"
  • किसी विशेष साधना या सेवा के उपलक्ष्य में
  • पर्यावरण रक्षा और आत्मा की शांति हेतु
➺ इस अभियान की विशेषताएँ:
  • हर पौधे के पास एक नामपट्ट – "यह वृक्ष श्रीमती XYZ की स्मृति में समर्पित है"
  • प्रत्येक वृक्ष का भौगोलिक रिकॉर्ड – लोकेशन ट्रैकिंग व QR कोड स्कैन सुविधा
  • वृक्षारोपण की फोटो और वीडियो गैलरी – परिवार के साथ यादगार क्षण
  • वृक्ष संस्कार प्रमाणपत्र – ट्रस्ट द्वारा समर्पित आधिकारिक स्मृति पत्र
  • वृक्ष की देखभाल की जिम्मेदारी – ट्रस्ट या सहयोगी सेवकों द्वारा
  • गोनर्द परिसर में विकसित होगा 'श्रद्धा बन' या 'स्मृति बन'
➺ वृक्ष किस प्रकार के होंगे?
  • औषधीयः नीम, आंवला, अर्जुन, अश्वगंधा
  • फलदारः आम, जामुन, अमरूद, सीताफल
  • छायादारः पीपल, बरगद, कचनार
  • पुष्पवृक्षः पारिजात, चंपा, गुलमोहर
➺ आपका सहयोग कैसे हो सकता है?
  • पूरे 'श्रद्धा बन' की एक श्रेणी प्रायोजित करें
  • अपने पौधे की कहानी साझा करें – वेबसाइट और स्मृति दीवार पर
  • बच्चों को पौधा समर्पण संस्कार सिखाएँ
  • साधकों हेतु ध्यान कुटी के समीप एक वृक्ष समर्पित करें

"एक गौ का पालन" अभियान सेवा, संस्कार और संस्कृति से जुड़ने की आत्मीय पहल

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"जहाँ गौ माता की सेवा है, वहाँ ईश्वर स्वयं निवास करते हैं।"
➺ परिचयः

गौमाता भारत की आत्मा हैं। वेदों में उन्हें "सर्वदेवगणी" कहा गया है – क्योंकि उनका पालन न केवल एक प्राणी की सेवा है, बल्कि यह धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चारों पुरुषार्थों की आधारभूमि है।

आज जब विश्व "प्राकृतिक जीवनशैली" की ओर लौट रहा है, भारत को चाहिए कि वह फिर से गौसंवर्धन को अपने केंद्र में स्थापित करे। इसी प्रेरणा से, महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि गोनर्द से शुरू हो रहा है:

➺ "एक गौ का पालन" अभियान

जिसमें प्रत्येक श्रद्धावान व्यक्ति कम-से-कम एक देशी गौ माता के पालन-पोषण का संकल्प ले सके।

➺ इस अभियान के उद्देश्यः
  • भारत की लुप्तप्राय देशी गौ नस्लों को पुनर्जीवित करना
  • गौमाता के पंचगव्य आधारित चिकित्सा, जैविक खेती और दैनिक जीवन में प्रयोग को पुनः प्रचलन में लाना
  • प्राकृतिक और संस्कारित दुग्ध, घृत, और गौ उत्पाद को समाज तक पहुँचाना
  • गौ आधारित योग-आयुर्वेद-आहार जीवनशैली को पुनर्स्थापित करना
  • अनाथ, वृद्ध, लाचार गौमाताओं को आश्रय, सुरक्षा और सेवा देना
➺ "एक गौ का पालन" के अंतर्गतः
  • एक गौमाता का पूर्ण वार्षिक पालन-पोषण दायित्व
  • चारा, पानी, औषधि, देखभाल, और सेवा कर्मचारियों का खर्च
  • पालक परिवार/व्यक्ति के नाम पर गौ माता का समर्पण-पत्र
  • गौ माता की फोटो, सेवा रिकॉर्ड, और मासिक रिपोर्ट
  • विशेष पर्व पर गौ पूजा, यज्ञ और पालक का स्मरण
  • गोनर्द गौशाला में "गौ नामपट्टिका" – दानदाता के नाम सहित
➺ आप इस सेवा में कैसे सहभागी बन सकते हैं?
  • प्रति वर्ष – एक गौमाता के पूर्ण पालन का दायित्व लें
  • अपने बच्चों के नाम पर गौसेवा अर्पित करें – संस्कार परंपरा में जोड़ें
  • पुण्यतिथि, जन्मदिन, जयंती, विवाह वर्षगाँठ आदि पर गौ सेवा अर्पण करें
  • गो-घृत, पंचगव्य औषधियों, जैविक खाद व खेती में उपयोग हेतु सहयोग करें
  • गौ परंपरा पर आधारित पुस्तकें, शिक्षा, शोध को प्रायोजित करें
➺ गौ माता और वैज्ञानिक चिकित्सीय महत्त्वः
  • गौघृत मस्तिष्क की स्नायु वृद्धि में सहायक (Researched in Ayurveda & Neurology)
  • पंचगव्य से प्रतिरक्षा प्रणाली सशक्त होती है (Immunotherapy Use)
  • गोबर-गौमूत्र से खेती, भवन निर्माण, पर्यावरण, और कैंसर उपचार तक का उपयोग
  • गौ आधारित जीवनशैली से स्वास्थ्य, आध्यात्म और अर्थ – तीनों की समृद्धि संभव
➺ गोनर्द में प्रस्तावित "गौ ग्राम" की रूपरेखाः
  • 108 देशी गौ माताओं के लिए सेवा-आश्रय केंद्र
  • चारा, जल, औषधि, और हरित वातावरण
  • "गौ-पालक नामधारी मंडप" – हर दानदाता की सेवा स्मृति
  • "गौ विज्ञान पाठशाला" – गौ आधारित अनुसंधान, लेखन, प्रशिक्षण
  • "गौ-योग सत्र" – जहाँ गौशाला में ध्यान, जप, प्रार्थना हो

"पुस्तकालय निर्माण अभियान" गोनर्द से जागेगा ज्ञान का दीप, जिससे प्रकाशित होगा पूरा भारत"

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"जहाँ विद्या है, वहीं भविष्य है। जहाँ ग्रंथ हैं, वहीं संस्कृति जीवित है।"
➺ परिचयः

गुरुकुल परंपरा वाला भारत एक समय ज्ञान का सबसे बड़ा केंद्र था।
विश्वविद्यालयों, आश्रमों और ऋषिकुल में ग्रंथों का भंडार ही भारत की असली संपत्ति थी।
किन्तु आज का युग, तकनीक के बावजूद, संस्कारयुक्त, गहराई वाले ज्ञान से वंचित हो गया है।

इसीलिए, महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि गोनर्द (भोपाल) पर एक ऐसा पुस्तकालय बनाया जा रहा है –
जो केवल पुस्तकों का संग्रह न होकर बनेगा: “ज्ञान, साधना और संस्कृति का समर्पित तीर्थ”

➺ पुस्तकालय निर्माण का उद्देश्यः
  • वेद, उपनिषद, दर्शन, योग, आयुर्वेद, ज्योतिष, संस्कृत और भारतीय ज्ञान परंपरा को सहेजना
  • विलुप्त हो चुके ग्रंथों, पांडुलिपियों और सुप्त विद्याओं को एकत्र करना
  • युवाओं को भारतीय ग्रंथों से जोड़ना – डिजिटल और भौतिक दोनों रूपों में
  • ध्यान, साधना, तप, और स्वाध्याय करने वालों को एक शांतिपूर्ण अध्ययन स्थल देना
  • प्राचीन और आधुनिक शोध को संगठित करने हेतु मंच बनाना
➺ पुस्तकालय की प्रमुख विशेषताएँ:
  • "पतंजलि विद्यापीठ ग्रंथालय" – एक भव्य भवन, वैदिक वास्तु आधारित डिज़ाइन
  • शांत, प्राकृतिक और ध्यान योग्य वातावरण में अध्ययन
  • 10000+ पुस्तकों की संग्रह क्षमता – संस्कृत, हिंदी, अंग्रेज़ी, पाली, प्राकृत भाषाओं में
  • प्राचीन ग्रंथ, आधुनिक शोध, विज्ञान और योग का संयोजन
  • डिजिटल लाइब्रेरी – हर ग्रंथ का स्कैन संस्करण और खोज सुविधा
  • पुस्तक-समर्पण दीवार – जहाँ दानदाताओं के नाम स्मृति स्वरूप अंकित होंगे
  • “आओ पढ़ें” स्वाध्याय कक्ष – बच्चों और युवाओं के लिए अध्ययन-संवाद सत्र
  • विद्वान अतिथि व्याख्यान श्रृंखला – जिज्ञासा और शास्त्रार्थ को प्रोत्साहन
➺ वह पुस्तकालय किनके लिए है?
  • साधक, योगी, विद्वान, विद्यार्थी, शोधकर्ता
  • जिनकी रुचि भारतीय दर्शन, संस्कृति, आयुर्वेद, अध्यात्म, मनोविज्ञान में है
  • वे जो मानते हैं – पुस्तक पढ़ना केवल ज्ञान नहीं, बल्कि साधना है
  • और जो चाहते हैं – “स्वाध्यायाद्यानम आत्मा का पोषण”
➺ आपका सहयोग क्यों आवश्यक है?
  • एक पुस्तकालय केवल ईंट और पत्थरों से नहीं बनता – वह बनता है श्रद्धा, सेवा और विद्या-दान की भावना से।
  • आप जब एक ग्रंथ दान करते हैं, तो वह केवल पृष्ठ नहीं होता – वह किसी आत्मा के जागरण का स्रोत बनता है।
➺ आप सहयोग कैसे कर सकते हैं?
  • एक पुस्तक "श्रद्धा अनुसार" – प्राचीन या नई
  • पुस्तक श्रृंखला / विषय कलेक्शन प्रायोजित करें (जैसे: योग ग्रंथ, आयुर्वेद ग्रंथ, उपनिषद संग्रह)
  • पुस्तकालय भवन निर्माण में आर्थिक योगदान दें
  • अपने माता-पिता, गुरु या परिवार के नाम पर एक पुस्तक कक्ष समर्पित करें
  • डिजिटल स्कैनिंग, सॉफ्टवेयर, उपकरण आदि का प्रायोजन करें

प्राण ऊर्जा चिकित्सा केंद्र निर्माण गोनर्द से उठेगा रोगमुक्ति का एक नया युग,बिना दवा केवल ऊर्जा से उपचार

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"जहाँ प्राण है, वहाँ जीवन है और जहाँ प्राण संतुलित है, वहाँ रोग का नामोनिशान नहीं।"
➺ परिचयः

प्राचीन भारतीय परंपरा में "प्राण" को जीवन का मूल स्रोत कहा गया है।
महर्षि पतंजलि ने योगसूत्रों में स्पष्ट कहा – “प्राणायामेन चित्तद्वन्द्वनिरोधः।”

अर्थात प्राण के नियंत्रण से मन, शरीर और चित्त की समस्त विकृतियाँ दूर होती हैं।

आज आधुनिक चिकित्सा जगत जहाँ रसायनों और यंत्रों पर केंद्रित हो गया है, वहीं भारत प्राणशक्ति आधारित चिकित्सा पद्धति को विश्व के सामने पुनः प्रस्तुत कर रहा है।

➺ इसी उद्देश्य से, हम महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि गोनर्द में स्थापित कर रहे हैं:
  • “प्राण ऊर्जा चिकित्सा केंद्र”-
  • एक ऐसा नवयुगीन आरोग्य धाम,-
  • जहाँ न दवा होगी, न सुई, न मशीन –
  • केवल प्राण, ध्यान और ऊर्जा से उपचार होगा।
➺ इस केंद्र की विशेषताएँ:
  • प्राण योग चिकित्सा कक्ष – जहाँ प्रशिक्षित साधक हाथ या दूर से रोगी की ऊर्जा का संतुलन करें
  • चक्र-संतुलन केंद्र – 7 चक्रों पर केंद्रित चिकित्सा प्रक्रिया (Root to Crown Healing)
  • मानसिक रोग चिकित्सा अनुभाग – चिंता, अवसाद, अनिद्रा, भय, स्मृति हानि जैसे रोगों पर प्रभावी
  • हृदय, थायरॉइड, BP, श्वास, सर्जरी के बाद की ऊर्जा चिकित्सा
  • स्पर्शहीन उपचार (Touchless Energy Healing) – केवल प्राण-संचालन और ध्यान से
  • ऊर्जा स्कैन और रिपोर्टिंग – रोगी की आभा (Aura), नाड़ी और ऊर्जा क्षेत्र का मूल्यांकन
  • मौन और ध्यान चिकित्सा – Healing through Stillness
  • पंचतत्त्व संतुलन आधारित चिकित्सा – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश से रोग निवारण
➺ वैज्ञानिक आधारः
  • ब्रेनवेव थेरेपी – ध्यान से थीटा-अल्फा तरंगों की सक्रियता
  • Heart-Brain Coherence – प्राण ऊर्जा से हृदय की धड़कन व न्यूरो-स्वास्थ्य में संतुलन
  • Cellular Recharge – प्रत्येक कोशिका को ऊर्जा देकर पुनर्जीवित करना
  • Aura Purification – बायो-फील्ड को साफ कर नकारात्मकता का नाश
  • Quantum Biology & Resonance – तरंग सिद्धांत और ऊर्जा-सम्मिलन के आधुनिक शोध पर आधारित
➺ हमारा लक्ष्यः
  • रोगियों को बिना दवा, बिना साइड इफ़ेक्ट के रोगमुक्त करना
  • भारत की प्राचीन प्राणविद्या को वैज्ञानिक पद्धति से दुनिया के सामने लाना
  • युवा पीढ़ी को ऊर्जा चिकित्सा में प्रशिक्षित कर रोजगार और सेवा का अवसर देना
  • गोनर्द को वैश्विक प्राण चिकित्सा राजधानी (Global Healing Capital) बनाना
➺ आपका सहयोग क्यों आवश्यक है?
  • यह केवल एक चिकित्सा केंद्र नहीं, यह आशा, ऊर्जा और पुनर्जन्म का तीर्थ होगा।
  • आपके सहयोग से हजारों रोगियों को बिना दवा राहत मिलेगी
  • आप किसी की पीड़ा, कैंसर, अवसाद या विकलांगता में एक नई रोशनी का कारण बन सकते हैं

" डिजिटल योग पाठ्यक्रम निर्माण अभियान "गोनर्द से विश्व तक अब हर हाथ में योग, हर घर में ध्यान"

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"जहाँ स्क्रीन साधना का माध्यम बन जाए वहीं डिजिटल योग का युग प्रारंभ होता है।"
➺ परिचयः

योग अब केवल भारत की सीमा तक सीमित नहीं रहा,
यह एक वैश्विक चेतना आंदोलन बन चुका है।

किन्तु योग की वास्तविकता, गहराई, और प्राचीन ऋषियों की दिव्य शिक्षाएं आज भी
भ्रम, विकृति और व्यावसायिकता के जाल में खोती जा रही हैं।

➺ इसी कारण, महर्षि पतंजलि की पावन जन्मभूमि गोनर्द (भोपाल) से हम आरंभ कर रहे हैं:

“डिजिटल योग पाठ्यक्रम निर्माण परियोजना” – एक ऐसा अभियान, जो भारत के दिव्य योग को सही, वैज्ञानिक, गूढ़ और व्यावहारिक रूप में दुनिया के कोने-कोने तक ऑनलाइन माध्यम से पहुंचाएगा।

➺ पाठ्यक्रम निर्माण के उद्देश्य:
  • योग की शास्त्रीय परंपरा, वैज्ञानिक विश्लेषण और आधुनिक जीवन से जुड़ाव को एक साथ प्रस्तुत करना
  • साधक, विद्यार्थी, प्रशिक्षक, चिकित्सक, प्राणकर्ता और विदेशी योग प्रेमियों के लिए स्वरूपानुसार पाठ्यक्रम
  • महर्षि पतंजलि के योगसूत्र, सिद्धियों, प्राणायाम, ध्यान विधियों और नैतिक शिक्षाओं को सरल भाषा में उपलब्ध कराना
  • ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से विश्वभर के लोगों को जोड़ना
  • सर्टिफिकेशन, डिप्लोमा, और शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम (TTC) तैयार करना
➺ पाठ्यक्रम की प्रमुख विशेषताएँः
  • भाषा: हिंदी, अंग्रेज़ी, संस्कृत सहित 10 भाषाओं में पाठ्यक्रम
  • माध्यम: वीडियो क्लास, ई-बुक, ऑडियो गाइड, लाइव जूम सत्र, Q&A
  • स्तर: बेसिक, इंटरमीडिएट, एडवांस, गूढ़ साधना पाठ्यक्रम
  • सामग्री: योगासन, प्राणायाम, ध्यान, चक्र साधना, आयुर्वेद, मानसिक स्वास्थ्य, पंचतत्त्व योग, योगसूत्र विश्लेषण
  • प्रमाणन: पूर्ण पाठ्यक्रम के बाद डिजिटल सर्टिफिकेट (AICTE / UGC / ट्रस्ट प्रमाणित)
  • तकनीक: LMS प्लेटफॉर्म, मोबाइल ऐप, वेबसाइट, क्लाउड रिकॉर्डिंग
➺ वैज्ञानिक व आध्यात्मिक आधारः
  • Brainwave Analysis से ध्यान और एकाग्रता के प्रभाव की प्रस्तुति
  • Respiratory Science से प्राणायाम के लाभों का अध्ययन
  • Psychoneuroimmunology के अंतर्गत योग और प्रतिरक्षा तंत्र का संबंध
  • ध्यान विधियाँ और न्यूरोप्लास्टिसिटी का सीधा संबंध
➺ हमारा लक्ष्यः
  • भारत के गाँव से लेकर अमेरिका, यूरोप, जापान तक हर घर में योग पहुंचाना
  • लाखों युवाओं को योग शिक्षक, चिकित्सक और साधक के रूप में प्रशिक्षित करना
  • महर्षि पतंजलि की दिव्य शिक्षाओं को डिजिटल कालखंड का पथप्रदर्शक बनाना
  • गोनर्द को “Global Digital Yoga Capital” के रूप में स्थापित करना
➺ आपका सहयोग क्यों आवश्यक है?
  • यह केवल एक ऑनलाइन कोर्स नहीं,
  • यह “डिजिटल युग में योग संस्कृति का पुनर्जागरण” है।
➺ आप जब सहयोग करते हैं -
  • तो कोई बीमार व्यक्ति योग से रोगमुक्त होता है
  • तो कोई युवा योग शिक्षक बनकर जीवन बदलता है
  • तो कोई विदेशी साधक भारत की आत्मा से जुड़ता है

सनातन संकल्प गैलरी

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"जहाँ भारत की चिरंतन साधना परंपरा दृष्टिगोचर होती है।"
प्रेरक जीवनियों की श्रृंखला आदिकाल से आधुनिक युग तक।
➺ परिचयः

भारत की आत्मा ऋषियों में बसती है। ऋषि न किसी युग के होते हैं, न किसी संप्रदाय के – वे सनातन होते हैं। उनकी वाणी, तपस्या, दर्शन और सेवा ने ही भारत को विश्वगुरु बनाया। किन्तु आज की पीढ़ी इन महान आत्माओं से धीरे-धीरे कटती जा रही है। उनकी शिक्षाएँ विस्मृत, चरित्र उपेक्षित, और आदर्श भुलाए जा रहे हैं।

इसी विस्मृति को मिटाने हेतु, महर्षि पतंजलि की दिव्य जन्मभूमि गोनई (भोपाल) में हम एक दिव्य गैलरी स्थापित कर रहे हैं: “सनातन संकल्प गैलरी” – एक ऐसा दर्शनीय तीर्थ, जहाँ प्रत्येक चित्र, मूर्ति और कथा भारत की सनातन साधना परंपरा को जीवंत करेगी।

➺ गैलरी का उद्देश्यः
  • भारत के प्रसिद्ध ऋषियों, योग गुरुओं और संत महापुरुषों के जीवन-चरित्र, शिक्षाएँ और योगदान को दृश्य रूप में प्रस्तुत करना
  • आदिकाल से आधुनिक युग तक जैसे: विश्वामित्र, वशिष्ठ, याज्ञवल्क्य, पतंजलि, बुद्ध, महावीर, शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस, योगानंद, अरविंद, महर्षि महेश योगी, स्वामी विवेकानंद, योग गुरु रामदेव आदि
  • युवा पीढ़ी को प्रेरणा, दिशा और गौरवबोध देना
  • सनातन धर्म की तप, त्याग और शिक्षा परंपरा को संरक्षित व प्रचारित करना
  • शोधकर्ताओं, शिक्षकों, पर्यटकों और विद्यार्थियों के लिए ज्ञान और दृष्टि का केंद्र बनाना
➺ गैलरी की प्रमुख विशेषताएँः
  • ऋषियों की मूर्तियाँ/चित्र दीर्घा: कालक्रमानुसार ऋषि परंपरा – प्राचीन से आधुनिक तक
  • जीवन गाथा पैनल: प्रत्येक ऋषि का संक्षिप्त जीवन, शिक्षाएँ, योगदान
  • योग परंपरा अनुभाग: अष्टांग योग, नाथ योग, क्रिया योग, भक्ति योग, ज्ञान योग के संत
  • ध्वनि-प्रकाश प्रदर्शन: ध्यान के बीच ऋषियों की वाणी, श्लोक, संदेश
  • वस्त्र, लेखनी, पुस्तकों और प्रतीकों का प्रदर्शन: प्रत्येक गुरु से जुड़े प्रतीक या प्रतिकृति
  • “From Rishi to Global” अनुभाग: भारत की साधना परंपरा का वैश्विक प्रभाव
  • इंटरएक्टिव सेक्शन: बच्चों और युवाओं के लिए ऑडियो-विजुअल गाइड
  • शोध-पठन कक्ष: ऋषियों की वाणी, पांडुलिपियाँ और संदर्भ सामग्री का अध्ययन
➺ शोध व शास्त्र आधार:
  • उपनिषद, महाभारत, ब्रह्मसूत्र, योगसूत्र, भगवद्गीता और पुराणों पर आधारित शिक्षाओं का विश्लेषण
  • पंथनिरपेक्ष दृष्टि – सभी धर्मों और संप्रदायों के सच्चे साधकों का सम्मान
  • “ऋषि तत्व” – मानव कल्याण का सार्वभौमिक दर्शन
➺ हमारा लक्ष्यः
  • भारत की ऋषि परंपरा को चित्र, ध्वनि और अनुभव के माध्यम से पुनः जीवंत करना
  • गोनर्द को साधना, दर्शन और चरित्र निर्माण की प्रेरणा स्थली बनाना
  • सनातन संस्कृति को युवाओं, पर्यटकों और शोधार्थियों के हृदय से जोड़ना
  • भारत को फिर से “ध्यान और दिशा का देश” बनाना
➺ आपका सहयोग क्यों आवश्यक है?
  • हर ऋषि के चरित्र चित्रण के पीछे तपस्या है
  • हर प्रदर्श सामग्री के पीछे शोध है
  • और हर युवा की आत्मा में कोई ऋषि जागना चाहता है
➺ आप जब सहयोग करेंगे –
  • एक ऋषि की कथा हजारों हृदयों तक पहुँचेगी
  • एक बालक का जीवन बदल सकता है
  • एक देश फिर अपनी पहचान पा सकता है

"इतिहास के झरोखे से" भारत की सांस्कृतिक चेतना का जीवंत संग्रहालय"

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गोनर्द में बनेगा भारत की सभ्यता, संस्कृति और सनातन शौर्य का दर्पण
"जहाँ हर शिलालेख बोलेगा, हर मूर्ति कहेगी मैं भारत हूँ।"
➺ परिचयः
  • भारत केवल एक भूगोल नहीं –
  • यह सभ्यता का संगीत, संस्कृति का प्रकार
  • और मानवता की अध्यात्म से जुड़ी यात्रा का अद्वितीय ग्रंथ है।
  • किन्तु दुर्भाग्यवश, आज की पीढ़ियाँ अपने ही इतिहास, परंपरा और मूल पहचान से कटती जा रही हैं।

इसी विस्मरण को रोकने और पुनः जोड़ने हेतु, महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि गोनर्द में आरंभ हो रहा है:
“इतिहास के झरोखे से” पुरातात्विक संस्कृति गैलरी
एक ऐसा केंद्र जहाँ इतिहास धूल से निकलकर दीप बन जाएगा और संस्कृति शिलाओं से गूंजती चेतना बन जाएगी।

➺ गैलरी का उद्देश्यः
  • भारत की प्राचीन कला, धर्म, दर्शन और सामाजिक जीवन को भौतिक सामग्री द्वारा सामने लाना
  • पुरातात्विक सामग्री – शिलालेख, मूर्तियाँ, सिक्के, टेराकोटा, औजार, मंत्र, वास्तु अवशेष का संग्रह
  • आने वाली पीढ़ियों को भारत के सांस्कृतिक गौरव से जोड़ना
  • शोधकर्ताओं, छात्रों और दर्शकों के लिए शिक्षा, प्रेरणा व अनुभूति का मंच बनाना
  • भारत को पुनः विश्व सभ्यता में अग्रणी स्थान दिलाने की दिशा में कार्य करना
➺ गैलरी की प्रमुख विशेषताएँ:
  • वैदिक अनुभाग: यज्ञ-वेदी, वेद-शिल्प, ऋषियों के प्रतीक चिह्न, स्वस्तिक, अग्निकुंड आदि
  • मौर्य-गुप्त काल अनुभाग: सम्राट अशोक के शिलालेख, ब्राह्मी लेख, सांख्य दर्शन चिह्न
  • पतंजलि अनुभाग: पतंजलि कालीन मूर्तियाँ, शास्त्रीय लेख, गोनर्द से प्राप्त प्राचीन संकेत
  • सिक्कों का संग्रह: पंचमार्क, मौर्य, शुंग, कुषाण, गुप्त, मुगल और ब्रिटिश कालीन सिक्के
  • लोक परंपरा अनुभाग: मिट्टी के दीप, पारंपरिक उपकरण, लोककला
  • भित्ति और स्थापत्य: मंदिर स्थापत्य, दरवाजे, कलात्मक नक्काशी
  • इंटरएक्टिव डिजिटल डिस्प्ले: 3D मॉडल, वीडियो वृत्तचित्र, वर्चुअल गैलरी
➺ शोध और विज्ञान आधारित दृष्टिकोण:
  • संग्रहण सामग्री का प्रामाणिक पुरातात्विक मूल्यांकन
  • कार्बन डेटिंग और पुरालेखीय विश्लेषण
  • इतिहास, धर्म, कला और विज्ञान का एकीकृत प्रदर्शन
  • गोनर्द को एक पुरातात्विक अध्ययन केंद्र (Archaeological Learning Hub) के रूप में विकसित करना
➺ हमारा लक्ष्यः
  • भारत की लुप्त होती ऐतिहासिक स्मृतियों को सहेजना
  • नई पीढ़ी को मूल पहचान और गौरव से जोड़ना
  • विदेशी विद्वानों और विश्वविद्यालयों के लिए एक अध्ययन केंद्र बनाना
  • गोनर्द को वैश्विक सांस्कृतिक पर्यटन का तीर्थ बनाना
➺ आपका सहयोग क्यों आवश्यक है?

"हर मूर्ति जो स्थापित नहीं हुई, वह खोई हुई संस्कृति की आवाज़ है।"

  • जब आप सहयोग करते हैं –
  • एक शिलालेख जीवंत हो उठता है
  • एक मूर्ति फिर मुस्कुराती है
  • एक बच्चा अपनी जड़ों से जुड़ता है
  • और भारत पुनः गर्व से कहता है – "मैं ऋषियों की भूमि हूँ।"

Our Trustees

प्रोफेसर सविता दीक्षित (प्रोफेसर मैनिट भोपाल) श्री सुभाषचंद्र त्रिपाठी (भूतपूर्व पुलिस महानिदेशक) श्री अवधेश गोस्वामी (अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर, भोपाल) डॉ नारायण व्यास (प्रख्यात पुरातत्वविद) डॉ निर्लिम्प त्रिपाठी (अध्यक्ष, भारतीय भाषा विज्ञान विभाग, महर्षि महेश योगी वैदिक विश्ववि‌द्यालय, भोपाल) श्री अरुण कुमार राठौर (उपसंचालक जनसम्पर्क, उज्जैन) डॉ शैलजा त्रिवेदी (व्याख्याता, योगविभाग, अटल विहारी बाजपेई हिन्दी विश्ववि‌द्यालय भोपाल) डॉ राहुल शर्मा (व्याख्याता, योगविभाग, अटल विहारी बाजपेई हिन्दी विश्ववि‌द्यालय भोपाल) डॉ श्याम सिंहजी (सेवानिवृत इंजीनियर, विदिशा) डॉ संजय शर्मा (आयुर्वेद विशेषज्ञ, विध्यहर्बल, भोपाल) डॉ ओमनारायण तिवारी (डीन एवं प्रमुख, पतंजलि यूनिवर्सिटी, हरिद्वार) डॉ सत्येंद्र मिश्रा (प्राध्यापक, बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज, सागर) श्री रवि ‌द्विवेदी श्री सत्येंद्र गुप्ता श्रीमती बबीता मिश्रा डॉ प्रियंका मिश्रा श्री महेश पटेल श्री सचिन दईया श्री लोकेश सनोडिया धर्मवीर सिंह आचार्य रजनी सक्सैना आचार्य निधि पालीवाल आचार्य पवनदेव शर्मा सुश्री मीनू सिंघल आचार्य बृजमोहन यादव आचार्य मृदुल ताम्रकार श्री उत्तम बंसल जी श्री धर्मेंद्र जाट श्री धीरेन्द्र बर्मन श्री महेश विजयवर्गीय श्रीमती प्रतिमा अग्रवाल श्रीमती वंदना जैन श्रीमती प्रमिला शर्मा श्रीमती भूमि सनोडिया श्री सतपाल मल्होत्रा डॉ एस. के. वर्णवाल डॉ अर्चना प्रेम बहादुरपुन आचार्य अनुरागी डॉ ललित मोहन भट्ट नीलू गुप्ता मेघा साहू सत्येन्द्र साहू डॉ अजय दुबे सुश्री श्रृष्टि सिंघल रोमा कुशाल चारू थोटे सुश्री अनामिका राजपूत श्री भरत चौरसिया चंचल अग्रवाल दिनेश दीमन भुजंग राव चौहान डॉ प्रवीण कुमार गुप्ता डॉ शशिकांत त्रिपाठी डॉ विजय कुमार बंसल अश्वनी श्रीवास्तव डॉ सी. बी. रोहतास श्रीमती ज्योति डोलवानी सुश्री ज्योति केने श्रीमती किरण बरेठिया श्रीमती किरण चंद्राकर श्रीमती ममता शर्मा श्रीमती मंजू रैकवार श्री मिथलेश साहू नवभारत श्रीमती पद्मावती चंद्राकर श्रीमती श्वेता गर्ग श्रीमती पुष्पा थपलियाल डॉ संजय शर्मा श्री शंभू नाथ झा श्रीमती वंदना साहू श्री विनोद प्रसाद श्री योगेश गहरवाल श्रीमती पीती गहरवाल डॉ सुरेश भाटी ईजी राजेश सोलंकी

दान दाताओं की सूची ( महर्षि पतंजली मंदिर )

क्रमांक नाम राशि
1 महेश विजयवर्गीय 1,50,000/-
2 आचार्य रजनी 51,000/-
3 धर्मवीर यादव जी 51,000/-
4 रवींद्र द्विवेदी 51,000/-
5 महेश प्रसाद पटेल 51,000/-
6 सचिन दैय्या 51,000/-
7 लोकेश सनोडिया 51,000/-
8 धर्मेंद्र जाट 51,000/-
9 डॉ. सविता दीक्षित जी 21,000/-
10 श्वेता गर्ग मुरैना 21,000/-
11 गुप्त दान 21,000/-
12 राजेंद्र खंडेलवाल जी 21,000/-
13 डॉ एस के वर्णवाल 21,000/-
14 विजय उपाध्याय जी 21,000/-
15 मधु मिथलेश साहू जी 21,000/-
16 प्रतिमा अग्रवाल जी 21,000/-
17 मेघा साहू जी 21,000/-
18 प्रतिमा अग्रवाल जी 21,000/-
19 डॉ लेखराज बेगोवाल जी 11,223/-
20 कमला देवी हिमाचल 11,000/-
21 उत्तम बंसल गाजियाबाद 11,000/-
22 ज्योति ढोलवाणी नागपुर 11,000/-
23 सुषमा जैन वंदना जैन 11,000/-
24 दुर्गा आशीष तिवारी जी 11,000/-
25 पद्मावती चंद्राकर जी 5,100/-
26 रमेश चंद्र शर्मा जी 5,100/-
27 अनिल वर्मा जी 3,100/-
28 पुष्पा थपलियाल 2,100/-
29 शंभु नाथ झा जी 2,100/-
30 प्रियंका संदीप बंसल जी 2,100/-
31 डॉ. हरिष जी 2,100/-
32 मंगल शर्मा जी 2,100/-
33 सुरेश शर्मा 2,100/-
34 मंडलासा यादव 1,500/-
35 रामगोपाल विश्वकर्मा 1,101/-
36 अनामिक राजपूत जी 1,000/-
37 संगीता वया 1,100/-
38 राकेश मालिक 1,100/-
39 वंशिका कपूर 1,100/-